Sheikh Muhammad Ibrahim Zauq (1789–1854) (Urdu: شیخ محمد ابراہیم ذوؔق) was an Urdu poet and scholar of literature, poetry and religion . He wrote poetry under nom de plume "Zauq", and was appointed poet laureate of theMughal Court in Delhi just at the age of 19. Later he was given the title of ' Khaqani e Hind'( The Khaqani of India) by the last Mughal emperor and his disciple Bahadur Shah Zafar.
Born 1789
Delhi
Died 1854
Delhi, British India
Pen name Zauq
हुए क्यूँ उस पे आशिक़ हम अभी से
लगाया जी को ना-हक़ ग़म अभी से
दिला रब्त उस से रखना कम अभी से
जता देते हैं तुझ को हम अभी से
तेरे बीमार-ए-ग़म के हैं जो ग़म-ख़्वार
बरसता उन पे है मातम अभी से
ग़ज़ब आया हिलें गर उस की मिज़गाँ
सफ़-ए-उश्शाक़ है बरहम अभी से
अगरचे देर है जाने में तेरे
नहीं पर अपने दम में दम अभी से
भिगो रहवेगा गिर्या जैब ओ दामन
रहे है आस्तीं पुर-नम अभी से
तुम्हारा मुझ को पास-ए-आबरू था
वगरना अश्क जाते थम अभी से
लगे सीसा पिलाने मुझ को आँसू
के हो बुन्याद-ए-ग़म मोहकम अभी से
कहा जाने को किस ने मेंह खुले पर
के छाया दिल पे अब्र-ए-ग़म अभी से
निकलते ही दम उठवाते हैं मुझ को
हुए बे-ज़ार यूँ हम-दम अभी से
अभी दिल पर जराहत सौ न दो सौ
धरा है दोस्तो मरहम अभी से
किया है वादा-ए-दीदार किस ने
के है मुश्ताक़ इक आलम अभी से
मेरा जाना मुझे ग़ैरों ने ऐ 'ज़ौक़'
के फिरते हैं ख़ुश ओ ख़ुर्रम अभी से