Monday, July 25, 2016

आते आते मेरा नाम / वसीम बरेलवी



आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया

आते-आते मेरा नाम-सा रह गया 
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया

वो मेरे सामने ही गया और मैं 
रास्ते की तरह देखता रह गया

झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये 
और मैं था कि सच बोलता रह गया

आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे 
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया

No comments:

Post a Comment