अपने एहसास के सब
रंग उतर जाने
दो, मेरी उम्मीद
मेरे ख्वाब बिखर जाने
दो
अपने आंगन में
चिरागों को जलाओ न अभी, मेरे आँगन सियाह रात उतर जाने दो
बड़ी मुश्किल से मिला है मेर घर का पता, रास्तो आज न उलझो मुझे घर जाने दो
जिन के आने का बहुत शोर था फैला हर सू, उन ही लम्हो को यूं ही चुप-चाप गुज़र जाने दो
मेरी बर्बादी का इलज़ाम न आये तुम पर, मेरे हालात को कुछ और बिगड़ जाने दो
शायद ये बहार-ऐ-इश्क़ लहू मांग रहा है, रोको न मुझे बीच भंवर जाने दो