Wednesday, August 31, 2016

अपने एहसास के सब रंग उतर जाने दो / Unknown

अपने एहसास के सब रंग उतर जाने दो, मेरी उम्मीद मेरे ख्वाब  बिखर जाने दो 
अपने आंगन में चिरागों को जलाओ अभी, मेरे आँगन सियाह रात उतर जाने दो


बड़ी मुश्किल से मिला है मेर घर का पता, रास्तो आज उलझो मुझे घर जाने दो
जिन के आने का बहुत शोर था फैला हर सू, उन ही लम्हो को यूं ही चुप-चाप गुज़र जाने दो



मेरी बर्बादी का इलज़ाम आये तुम पर, मेरे हालात को कुछ और बिगड़ जाने दो
शायद ये बहार--इश्क़ लहू मांग रहा है, रोको मुझे बीच भंवर जाने दो

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